Updated Jan 2024
सामान्य पत्थर ओर देवी /देवता की मूर्ती मे अंतर /क्या पत्थर की मूर्ती मे प्राण होते है
आप ने अपने बुजुर्गों से सुन होगा की भगवान हर जगह होते है , हर कण कण मे भगवान का वास है बात ये सही भी है क्योंकि इस संसार /धरती का निर्माण करता भगवान ही है या कोई शक्ति ही है जिस के कारण इस संसार की रचना हुई होगी. ये तो विज्ञान भी मानता है की शक्ति के बिना कुछ भी संभव नहीं है
बाकी अगर आप धार्मिक ब्यक्ति है तो आप को शक्ति का अहसास कभी ना कभी जरूर हुआ होगा ।
आप ने बहुतों से सुना होगा की मानो तो भगवान ना मानो तो पत्थर .
मै आप को बताने जा रहा हु सामान्य पत्थर ओर भगवान की मूर्ती मे क्या अंतर होता है ओर क्या पत्थर की मूर्ती मे प्राण हो सकते है ।
सामान्य पत्थर ओर मूर्ती हालांकि होते दोनों पत्थर ही है दोनों भगवान के ही रूप है परंतु दोनों मे बहुत बड़ा अंतर भी है ।
सामान्य पत्थर ओर मूर्ती मे सबसे बड़ा जो अंतर है वह यह है कि जब भी कभी मंदिर या घर मे मूर्ती की स्थापना की जाती है तो पंडित /परोहित/पुजारी के द्वारा उस मूर्ती की प्राण प्रतिष्ठा की जाती है । प्राण प्रतिष्ठा कई मंत्रों उच्चारण के साथ सम्पन्न होती है ।
इस प्राण प्रतिष्ठा के कारण ही उस मूर्ती मे प्राण आते है । बिना प्राण प्रतिष्ठा के मूर्ती भी सामान्य पत्थर की तरह है ।
अक्सर लोग बाजार से मूर्ती खरीद के ला जाते है ओर बिना किसी प्राण प्रतिष्ठा के उसको देवी /देवता के पूजने के स्थान पर रख देते है । बिना प्राण प्रतिष्ठा के कोई भी मूर्ती सामान्य पत्थर की तरह ही है