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  • Suchita

    Updated Mar 2024

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Posted by Sandman Pro on Friday, 1 March 2024
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    Updated Mar 2024

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    Updated Mar 2024

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Posted by Sandman Pro on Friday, 1 March 2024
  • Keraram Society

    Updated Jan 2024

सामान्य पत्थर ओर देवी /देवता की मूर्ती मे अंतर /क्या पत्थर की मूर्ती मे प्राण होते है

    क्या पत्थर की मूर्ती मे प्राण होते है 

आप ने अपने बुजुर्गों से सुन होगा की भगवान हर जगह होते है , हर कण कण मे भगवान का वास है बात ये सही भी है क्योंकि इस संसार /धरती का  निर्माण करता भगवान ही है या कोई शक्ति ही है जिस के कारण इस संसार की रचना हुई होगी. ये तो विज्ञान भी मानता है की शक्ति के बिना कुछ भी संभव नहीं है 

 बाकी अगर आप धार्मिक ब्यक्ति है तो आप को शक्ति का अहसास कभी ना कभी जरूर हुआ होगा । 

आप ने बहुतों से सुना होगा की मानो तो भगवान ना मानो तो  पत्थर . 

मै आप को बताने जा रहा हु सामान्य पत्थर ओर भगवान की मूर्ती मे क्या अंतर होता है ओर क्या पत्थर की मूर्ती मे प्राण हो सकते है । 

सामान्य पत्थर ओर मूर्ती हालांकि होते दोनों पत्थर ही है दोनों भगवान के ही रूप है  परंतु दोनों मे बहुत बड़ा अंतर भी है । 

सामान्य पत्थर ओर मूर्ती मे सबसे बड़ा जो अंतर है वह यह है कि जब भी कभी मंदिर या घर मे मूर्ती की स्थापना की जाती है तो पंडित /परोहित/पुजारी  के द्वारा उस मूर्ती की प्राण प्रतिष्ठा की जाती है । प्राण प्रतिष्ठा कई मंत्रों उच्चारण के साथ सम्पन्न होती है । 

 

इस प्राण प्रतिष्ठा के कारण ही उस मूर्ती मे प्राण  आते है । बिना प्राण प्रतिष्ठा के मूर्ती भी सामान्य पत्थर की तरह  है । 

अक्सर लोग बाजार  से मूर्ती खरीद के ला जाते  है ओर बिना किसी प्राण प्रतिष्ठा के उसको देवी /देवता  के पूजने के स्थान पर रख देते है । बिना प्राण प्रतिष्ठा के कोई  भी मूर्ती सामान्य पत्थर की तरह ही है 

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  • Keraram Society

    Updated Jan 2024

देवी /देवता या इंसान कोन ज्यादा शक्तिशाली है

ईश्वर का वास हर जगह है, भगवान का वास संसार  की हर वस्तु   में जरूर  है। उनको अनुभव करने के लिए व्यक्ति में सच्ची श्रद्धा, पूर्ण विश्वास और साफ हृदय होना चाहिए।

इस लेख मे आपको मै बताऊँगा की  कोन ज्यादा शक्तिशाली है भगवान  या इंसान । 

इंसान  को भगवान के द्वारा ही बनाया गया है ओर इंसान भगवान की पूरी शक्ति का केवल एक अंश मात्र है । पर ज्यादातर लोगों के मन मे ये सवाल रहता  है की इंसान ने विज्ञान के माध्यम  से इतनी तरक्की कर ली है ये तो भगवान भी कर सकते है  तो भगवान ये काम क्यों नहीं कर लेते ओर भगवान लोगों की मदत क्यों नहीं कर लेते इंसानों के  कामों  को करने मे । 

 

 

अगर इंसान ही सब काम कर रहा है तो भगवान से ज्यादा शक्तिशाली तो इंसान ही है । 

परंतु ऐसा नहीं है भगवान हर जगह है कण  कण मे भगवान का वास  है । भगवान /देवी/देवताओं  के असीम शक्ति है जिनका मुकाबला करना इंसान की  बस की बात नहीं है । हम लोग देवी/ देवताओ की मूर्ती बनाते है ओर उनकी पूजा करते है । पर आप ने कभी महसूस  किया की भगवान  के पास असीम शक्ति होने के बाद भी वे कोई काम नहीं कर सकते है । असल मे एक चीज जो इंसान के पास है वो  भगवान के  पास नहीं है वो है शरीर । 

इंसान के पास शरीर है जिससे वो काम कर सकता है भगवान के पास असीम  शक्ति है पर शरीर नहीं है । 

भगवान अपनी शक्ति के माध्यम से आप को किसी कार्य को करने की प्रेरणा ,विचार देता है जिसके कारण आप वो कार्य कर सकते है जिस को आप करना चाहते हैं 

तो  अगर शक्तियों के  रूप मे देखा जाए तो देवी/देवता/भगवान इंसानों  से ज्यादा शक्तिशाली है पर  अगर शरीर के रूप  मे देखा जाए तो इंसान भगवान से ज्यादा' शक्तिशाली  है।   वैसे इंसान  जो  भी कार्य करने मे सक्षम है वो सब भगवान के आशीर्वाद, प्रेरणा,ओर  शक्ति के कारण ही कर पाता है । 

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  • Kapil Dev

    Updated Jan 2024

क्रोधी व्यक्ति का जीवन बदल देगी गौतम बुद्ध की ये कथा

https://lifetechgyan.com/laziness/

आलस्य वरदान या अभिशाप-LAZINESS

अपने आलसीपन की आदत को आज से ही खत्म करना शुरू कर दें नहीं तो यह आदत आपको धीरे-धीरे और आलसी बनाती जाएगी और एक दिन ऐसा आएगा कि आपको लगेगा कि आप बर्बाद हो चुके हैं क्योंकि इस आदत के कारण आप अपना बहुत सारा समय और जीवन बर्बाद कर चुके होंगे पिछे आप लौट नहीं सकते और आगे बढ़ने का मन नहीं होगा।- Laziness

क्योंकि मन में बहुत सारे विचारों का जाल सा बन जाएगा जिस कारण आप सही निर्णय नही ले पाएंगे लेकिन जो हो चुका उस पर पछताने से अच्छा है कि आगे बढ़ने की कोशिश की जाए क्योंकि बहुत समय बर्बाद कर चुके हैं आप अपने आलस्य के कारण अब कम से कम पछताने में समय बर्बाद ना करें और ऐसा भी नहीं है कि आप कोशिश करें और आगे ना बढ़ पाए।

जब आप कोशिश करोगे तो आगे भी बढ़ोगे और आगे बढ़ोगे तो सफलता निश्चित ही आपको मिलेगी विश्वास ना हो तो एक बार प्रयोग करके देखो और ऐसा नहीं है कि आलस्य दूर नहीं किया जा सकता।

Table of Contents

 

क्योंकि आलस्य और कुछ नहीं सिर्फ एक आदत है और आदत को बदला जा सकता है यदि आप चाहो तो।

आदत को बदलने का विचार मन में आया है तो यकीन मानो कि आप उस आदत को बदल भी सकते हो।

क्योंकि किसी भी चीज का जन्म पहले मन में ही विचार के रूप में होता है और उस विचार पर काम करके फिर उसको हकीकत में परिवर्तित किया जाता है इसलिए कीजिए कोशिश आलस्य की आदत को अपने काम करने की या मेहनत करने की आदत में बदलने की या यूं कहे कि आप सिर्फ काम करने की आदत बना लीजिए वही आदत मेहनत में अपने आप बदल जाएगी और आप अपने जीवन में एक सफल कामयाब व बेहतरीन इंसान बन जाएंगे अगर जीवन में कुछ करना ही चाहते हो तो कीजिए कोशिश यदि सफल न हो पाए तो कुछ ना कुछ नया अनुभव होगा और उस अनुभव के आधार पर आप आगे बढ़ सकते हैं

शिक्षा

आलस्यपन की आदत हमें सिर्फ और सिर्फ अपंग या नाकामयाब बना सकती है इसलिए हमें कभी भी किसी कार्य को करने में आलस्य नहीं करना चाहिए और समय पर अपने काम को करना चाहिए।

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  • Asha Devi

    Updated Jan 2024

UTTRAKHAND KI AWWAJ

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  • Sunita Devi

    Updated Jan 2024

Evening view

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  • Suchita

    Updated Dec 2023

ओ.एस.डी. संजीव कुमार शर्मा ने किया जौनपुर विकास खण्ड के दुर्गम ग्रामों का भ्रमण, सुनी जनसमस्याएं, विभागीय अधिकारियों को दिए कड़े निर्देश। -

ओ.एस.डी. संजीव कुमार शर्मा ने किया जौनपुर विकास खण्ड के दुर्गम ग्रामों का भ्रमण, सुनी जनसमस्याएं, विभागीय अधिकारियों को दिए कड़े निर्देश।

सरकार जनता के द्वार कार्यक्रम अन्तर्गत ओ.एस.डी. उत्तराखण्ड शासन संजीव कुमार शर्मा द्वारा विकास खण्ड जौनपुर टिहरी गढ़वाल की दुर्गम ग्राम पंचायत हरवाल गांव एवं जिन्सी में चौपाल लगाकर क्षेत्रीय ग्रामों की जन समस्याओं को सुनकर मौके पर निस्तारण किया गयाओ.एस.डी. संजीव कुमार शर्मा ने किया जौनपुर विकास खण्ड के दुर्गम ग्रामों का भ्रमण, सुनी जनसमस्याएं, विभागीय अधिकारियों को दिए कड़े निर्देश। -

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  • Ashish Raturi

    Updated Nov 2023

टनल ऑपरेशन की सफलता का ऐसे मनाया जश्न, अर्नोल्ड डिक्स ने SDRF जवानों के साथ गढ़वाली गाने पर किया डांस

अंतर्राष्ट्रीय तरंग विशेषज्ञ अर्नोल्ड डिक्स लगातार कम्युनिस्ट बने हुए हैं। अब वह एक्स पर Post किए गए अपने नए Video को लेकर चर्चा में हैं। इसमें वह गढ़वाली गाने पर विचित्रा के सोलो सॉन्ग पर Dance करती नजर आ रही हैं। इसमें उन्होंने लिखा है कि सिल्कयारा silkyara Tunnel operation की सफलता पर जश्न.

इससे पहले, सभी माता-पिता को अपने बच्चों के लिए घर निर्धारित करने में मदद करने के लिए अंतरराष्ट्रीय टनल ऑपरेशन की सफलता का ऐसे मनाया जश्न, अर्नोल्ड डिक्स ने SDRF जवानों के साथ गढ़वाली गाने पर किया डांस विशेषज्ञ अर्नोल्ड ने कहा था कि सेवा करना मेरे लिए सम्मान की बात है। हमने एक अद्भुत टीम के रूप में काम किया। भारत में सबसे महान इंजीनियर हैं।

इस सफल मिशन का हिस्सा बनना बहुत खुशी की बात है।’ उन्होंने कहा था कि मैं मंदिर को जानता हूं क्योंकि उन्होंने मुझे इसके लिए प्रार्थना पत्र देने का वादा किया था. यदि आपने ध्यान नहीं दिया है, तो हमने एक चमत्कार देखा है। वीडियो में एक गाने के जरिए बाबा बौखनाथ को धन्यवाद दिया जा रहा है.

वहीं, अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क विशेषज्ञ अर्नोल्ड डिक्स ने कहा कि रोजाना भगवान की पूजा और दर्शन करें, मैंने आपसे कुछ नहीं मांगा, मैंने वहां 41 लोगों को शामिल किया और सभी लोगों की मदद के लिए प्रार्थना की.

ऑल-ऑस्ट्रेलियाई प्रधान मंत्री एंथनी अल्बानीज़ ने फ्लोरिडा के सभी 41 दोषियों की रिहाई पर अर्नोल्ड डिक्स को बधाई दी। संदेश का जवाब देते हुए, डिक्स ने कहा, “धन्यवाद, श्रीमान प्रधान मंत्री… यह मेरा विशेषाधिकार और खुशी है कि हम न केवल क्रिकेट में शानदार हैं, हम रंगीन सम्मान सहित अन्य चीजें भी करते हैं।” 41 लोग बाहर हैं, सभी सुरक्षित हैं. सब कुछ सही है।

आपको बता दें कि ऑस्ट्रेलियाई प्रधान मंत्री एंथनी अल्बानीज़ ने उत्तराखंड में मियारा-बारकोट गिरोह के 41 अपराधियों को पकड़ने के लिए एक भारतीय सहायता अभियान चलाया था।

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  • Ashish Raturi

    Updated Nov 2023

एम्स में भर्ती मजदूरों का हाल-चाल लेने पहुचे राज्यपाल, कहा- परीक्षा में सभी सफल

गवर्नर लेफ्टिनेंट रिजर्व एम्स में 41 भर्ती द्वीप की अच्छी स्थिति में हैं। इस दौरान उन्होंने कहा कि ऑरेंज में 41 लोगों की यह परीक्षा थी, जिसमें वे सफल हुए. साथ ही उन्होंने हमें यह सीख भी दी है कि मुश्किल वक्त में साथ कैसे रहना है. ईसाई धर्म का नाम उनके घर के नाम पर रखा गया था।

सिल तकियारा सुरंग में 17 दिन बिताने वाली शीट के शेयर अभी भी मौजूद हैं। उनका कहना है कि सुरंग निर्माण के दौरान ऐसी घटनाएं आम हैं. हालांकि, इस बार मलबा गिरने की संख्या सबसे ज्यादा थी. कुछ असंतुष्ट अपने अंतिम वेतन में बढ़ोतरी की मांग कर रहे हैं क्योंकि वे छुट्टियों के बाद काम पर वापस लौटने की कसम खा रहे हैं.

उधर, उत्तरकाशी के सिल्क्यारा टनल से आवंटियों की सुरक्षित वापसी के बाद कार्गो स्थित सीएम आवास में ईगास यानी दिवाली का जश्न मनाया गया. वैसे तो उत्तराखंड में 11वें दिन ईगास साथ की परंपरा है, लेकिन सभी के इस  में शामिल होने के लिए सीएम धामी ने अपने आवास पर कार्यक्रम रखा था.

वहीं, मजदूरों के सकुशल लौटने पर उन्होंने रविवार को ही जश्न मनाया. सीएम धामी भैलो गायक लोकगीतों पर थिरकते रहे. इस मौके पर सीएम आवास के निवासी भी मौजूद रहे. सीएम ने इन सभी का स्वागत किया, कार्यक्रम में रोचक सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुतियां दी गईं।

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  • Suchita

    Updated Nov 2023

Uttarkashi Tunnel: 16 दिन बाद उत्तरकाशी से खबर सुनकर मां के छलके आंसू

Uttarkashi Tunnel: 16 दिन बाद उत्तरकाशी से खबर सुनकर मां के छलके आंसूUttarkashi Tunnel: 16 दिनों के बाद उत्तरकाशी से अच्छी खबर आई है। रैट माइनर्स की टीम ने सिल्कीयारा टनल के निर्माण कार्य में फंसे 41 कामगारों को बचाने के लिए मैन्युअल ड्रिलिंग पूरी की। इसके बाद पाइप को कामगारों को पहुँचाया गया, फिर मेडिकल टीम ने टनल के अंदर प्रवेश किया। जैसे ही यह खबर मिली, भैरमपुर गाँव की निवासी मंजीत की मां की आँखें चमक उठीं। वह अपने बेटे का बेसाब्री से इंतजार कर रही हैं। मंजीत के पिताजी चौधरी उत्तरकाशी में हैं। उनके पास मोबाइल फोन नहीं है। परिवार के सदस्यों को किसी अन्य के फोन के माध्यम से सूचित किया गया है।

मंजीत का परिवार बेलराया क्षेत्र से पाँच किलोमीटर की दूरी पर स्थित भैरमपुर गाँव में रहता है। यहाँ उनके माता-पिता, दो बहनें और बुजुर्ग दादा रहते हैं। उनका सहारा के लिए, मंजीत ने श्रमिक के रूप में काम करने के लिए उत्तरकाशी जाना था। मां चौधरी ने अपने बेटे से दीपावली पर घर आने को कहा था, लेकिन मजबूरी के कारण वह नहीं आ सका और फिर टनल हादसा हो गया। मंजीत के पिताजी ने हादसे के दूसरे दिन उत्तरकाशी के लिए रवाना हो गए थे। यहाँ, बेटे का इंतजार करती हुई मां की बेचैनी बढ़ रही थी।

उन्होंने कहा – “बेटा, जल्दी घर आ जा।”
मंगलवार की सुबह, यह खबर मिली कि टनल में फंसे कामगार जल्दी बाहर निकाले जा सकते हैं; इस खबर को सुनकर, अपने बेटे का इंतजार कर रही मां का चेहरा जो धीरे से बैठी थी, वह रोशन हो गया। उन्होंने यह बताया कि जब बचाव कार्य में शामिल मशीनें रुकीं, तो ऐसा लगा कि जीवन रुक गया है। अब उनका जीवन फिर से जीवंत हो गया है। वह हर क्षण ईश्वर से प्रार्थना कर रही थीं कि उसके बेटे सहित सभी कामगार सुरक्षित बाहर आएँ। मंजीत की बहनें बताईं कि वे अपने भाई का बड़ा होलीका प्रसाद खिलाएंगी।

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  • Suchita

    Updated Nov 2023

मुख्यमंत्री बोले-बचाव दल की तत्परता, टेक्नोलॉजी का सहयोग, अंदर फंसे श्रमिक बंधुओं की जीवटता, प्रधानमंत्री जी द्वारा की जा रही पल- पल निगरानी और बौख नाग देवता की कृपा से सफल हुआ अभियान।

मुख्यमंत्री बोले-बचाव दल की तत्परता, टेक्नोलॉजी का सहयोग, अंदर फंसे श्रमिक बंधुओं की जीवटता, प्रधानमंत्री जी द्वारा की जा रही पल- पल निगरानी और बौख नाग देवता की कृपा से सफल हुआ अभियान।मुख्यमंत्री ने बचाव दल की पूरी टीम को दी बधाई, कहा-श्रमिकों और उनके परिजनों के चेहरे की खुशी ही मेरी ईगास-बगवाल*

*मुख्यमंत्री बोले-बचाव दल की तत्परता, टेक्नोलॉजी का सहयोग, अंदर फंसे श्रमिक बंधुओं की जीवटता, प्रधानमंत्री जी द्वारा की जा रही पल- पल निगरानी और बौख नाग देवता की कृपा से सफल हुआ अभियान।

बौख नाग देवता का मुख्यमंत्री ने किया आभार प्रकट, बोले भरोसा था लोकदेवता अभियान को सफल जरूर बनाएंगे।

सिलकयारा टनल में फंसे 41 श्रमिकों के सकुशल बाहर निकलने पर मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने इस अभियान में जुटे समस्त बचाव दल को अपनी शुभकामनाएं दी हैं।

वहीं इस अवसर पर उन्होंने कहा की श्रमिकों और उनके परिजनों के चेहरों की खुशी ही मेरे लिए इगास बग्वाल है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि बचाव दल की तत्परता, टेक्नोलॉजी के सहयोग, सुरंग के अंदर फंसे श्रमिक बंधुओं की जीवटता, प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा की जा रही पल- पल निगरानी और बौखनाग देवता की कृपा से यह अभियान सफल हुआ।
मुख्यमंत्री ने जरुरी होने पर श्रमिकों को उच्च कोटि की चिकित्सा सुविधा देने के उन्होंने आदेश दिए हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज का दिन मेरे लिए बड़ी खुशी का दिन है। जितनी प्रसन्नता श्रमिक बंधुओं और उनके परिजनों को है, उतनी ही प्रसन्नता आज मुझे भी हो रही है।

वहीँ उन्होंने कहा कि बचाव अभियान से जुड़े एक-एक सदस्य का मैं हृदय से आभार प्रकट करता हूं, जिन्होंने देवदूत बनकर इस अभियान को सफल बनाया।

उन्होंने कहा कि सही मायनों में हमें आज ईगास पर्व की खुशी मिली है।

मुख्यमंत्री ने  कहा कि भगवान बौख नाग देवता पर हमें विश्वास था।
मुख्यमंत्री ने कहा कि विश्व स्तरीय टेक्नोलॉजी और विशेषज्ञ इस अभियान में लगे थे।

प्रधानमंत्री ने पल-पल इस अभियान की निगरानी की। उनके मार्गदर्शन में बेहतरीन समन्वय ने असंभव को संभव में बदला। उन्होंने अभियान से जुड़े एक-एक सदस्य के प्रति भी आभार प्रकट किया।

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  • Suchita

    Updated Nov 2023

Uttarkashi Tunnel Rescue: अंधेरी सुरंग में 400 घंटे, हौसले से जीती जंग

Uttarkashi Tunnel Rescue: अंधेरी सुरंग में 400 घंटे, हौसले से जीती जंगउत्तरकाशी की सिलक्यारा टनल में 17 दिनों से फंसे मजदूर किसी भी वक्ता बाहर आ सकते हैं. सुरंग में मलबा गिरने से रेस्क्यू ऑपरेशन में फिर अड़चन आई है. इस बात की जानकारी एनडीएमए यानी राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सदस्य रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल सैयद अता हसनैन ने अपने प्रेस ब्रीफिंग में दी है. वहीं एक मां अपने बेटे के बाहर आने के इंजतार में टनल के बाहर बैठकर भगवान से प्रार्थना कर रही है.

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अब 58 मीटर तक ड्रिलिंग हो गई है. अभी 2 मीटर और जाना है तब हम कह सकते हैं कि हम आर पार हो गए हैं. उन्होंने कहा कि सभी सुरक्षा एहतियात बरते गए हैं. NDRF का इसमें बहुत बड़ी भूमिका है. एनडीआरएफ के चार जवानों की तीन अलग-अलग टीमें बनाई गई है. ये अंदर जाएंगी और ये सारी चीज़ें व्यवस्थित करेंगी. साथ ही पैरामेडिक्स भी सुरंग के अंदर जाएंगे.

उन्होंने आगे कहा कि अनुमान है कि 41 लोगों में से प्रत्येक को निकालने में 3-5 मिनट का समय लगेगा. पूरी निकासी में 3-4 घंटे लगने की उम्मीद है.

जब 12 नवंबर को सुबह के आस-पास सुरंग में हादसा हो गया, तो श्रमिकों की आवाजें सुनने के लिए केवल एक चार-इंच का पाइप बचा था। सभी से पहले जब बात की गई, तो पता चला कि सभी जीवित थे, लेकिन फंस गए थे। इसके बाद उन्हें भूख लगने लगी, लेकिन उन्हें भोजन भेजा जा सकता था।

श्रमिकों ने हिम्मत नहीं हारी

20 नवंबर तक, उन्हें इस चार-इंच के पाइप के माध्यम से दवा, चना और सूखे मेवे ही भेजे गए। सभी श्रमिक ने अपनी भूख को शांत किया और उत्साह से उत्सुकता से काम करते रहे क्षण का समर्थन किया कि वे सुरक्षित रूप से बाहर निकाले जाएंगे। कई कार्यकर्ता बच्चेदानी की भी शिकायत कर रहे थे। इसके बावजूद, उन्होंने हिम्मत नहीं हारी।

20 नवंबर को अंत में जब छः-इंच का पाइप सफलतापूर्वक अंदर धकेला गया, तब श्रमिकों को भी कुछ राहत होने लगी। खिचड़ी, केला, संतरा, दाल, चावल, ब्रश, टूथपेस्ट, दवाएँ, आवश्यक कपड़े आदि उन्हें भी भेजे गए।

इस 13 दिनों के टनल के अंदर, उनकी कुछ दिनचर्या स्थिति बनी रही, लेकिन बाहर आने की चिंता बरकरार रही। डॉक्टर्स और मानसिक चिकित्सक ने उन्हें प्रोत्साहित किया। अंततः, इस उत्साह के आधार पर कर्मचारी सुरक्षित रूप से बाहर निकल पाये । 

संघर्ष के इस पूरे प्रक्रिया के दौरान, केंद्र सरकार और राज्य सरकार ने भी समन्वय और सब्र दिखाया। पूरे दुनिया की नजरें 17 दिनों के लिए उत्तरकाशी, उत्तराखंड के Silkyara पर थीं। कई योजनाएँ कार्यकर्ताओं को बाहर निकालने की बनाई गई थीं और जब भी वे असफल होतीं, सरकार निश्चित रूप से असहज दिखती थी, लेकिन उसने जीवनु बनाए रखा।

संघ मंत्री नितिन गडकरी और जनरल वीके सिंह, प्रधानमंत्री कार्यालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ, न केवल प्रोत्साहित किए गए बल्कि उनके बयानें अंदर के कामकाजी और बाहर के परिवारों को सब्र बनाए रखने में मदद करती रहीं। उसी समय, विपक्ष के सारे आरोपों के बावजूद, सरकार ने सब्र बनाए रखा और विकल्पों की तलाश की।

कुछ घंटों के लिए फंसे हुए 400 कामगारों को एक घंटे में बचाया गया
सिल्कियारा, उत्तरकाशी में निर्माणाधीन सुरंग में लगभग 400 घंटे तक फंसे हुए कामगारों को सुरक्षित रूप से बचाने में बहुत कम समय लगा। 17 दिनों तक बचाव कार्रवाई आशा और निराशा के बीच हिचकिचाहट में लटकती रही।

मंगलवार को, जब परिवहन और राजमार्ग मंत्री वीके सिंह सिल्कियारा पहुंचे और मुख्यमंत्री भी सिल्कियारा लौटे, तो संकेत स्पष्ट हो गया कि आज श्रमिकों के अंधेरी सुई बाहर लाने का समय है। खबर शाम में आई। 12 नवंबर, दीपावली के दिन, 4 श्रमिक सुरंग में फंसे थे और 17 दिनों बाद बाहर निकले।

जब बचाव दल निराश हो गया, आशा ने दी उम्मीद
ऑपरेशन सिल्कियारा के दौरान कुछ अवस्थाएं थीं जब ऐसा लगता था कि सभी प्रयास गंभीर स्थान पर पहुंचने से पहले विफल हो गए हैं। ऐसे समय में, देवभूमि में विश्वास ने आशा बढ़ाने के लिए सेवा की। भगवान बौखनाथ के मंदिर स्थापित करने से लेकर सुरंग के प्रवेश द्वार पर भोलेनाथ की मूर्ति तक इस आस्था का कारण बन गया।

ऑस्ट्रेलियाई सुरंग निर्माण विशेषज्ञ आर्नल्ड डिक्स ने भी इस आस्था के विश्वास में सिर झुकाया दिखा। मुख्यमंत्री से लेकर ऑपरेशन में शामिल अधिकारियों, विशेषज्ञों, वैज्ञानिकों, तकनीशियनों और बचाव कार्रवाई में शामिल श्रमिकों ने उम्मीद को इस आस्था के माध्यम से आशा भरा।

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